Wednesday, September 21, 2016

भारत का आतंकवाद को समाप्त करने के लिए पाकिस्तान पर प्रहार करना उचित अथवा नहीं ?

    वर्तमान सरकार द्वारा पाकिस्तान द्वारा आंतकी हमला किए  जाने पर पाकिस्तान पर प्रहार करने की नीति पर एक बार पुन: विचार करना चाहिए । यहां प्रश्न यह है कि क्या पाकिस्तान को इसका उत्तर दिए जाने की स्थ‍ित‍ि में पाकिस्तान द्वारा भारत पर आतंकी हमले करने रोक दिए जाएगें ? आइए इस बात की कल्पना करते हैं जब पाकिस्तान को उसकी इन हरकतों का करारा उत्तर दिया जाए । ऐसी परि‍स्थ‍िति में एेसा भी संभव है कि पाक‍िस्तान के कई टुकड़े हो जाएं पर पाकिस्तान की धरती पर आंतकी बनाना फिर भी बंद नहीं होगा । क्योंकि आतंक (जेहाद) पाकिस्तान की राष्ट्रीय नीति‍ है।
      आतंकवाद फैलाने के लिए अधि‍क ताकतवर होना आवश्यक नहीं है।केवल  एक  व्यक्त‍ि  भी जिसके दिमाग में जेहाद भर दिया जाता है फिदायीन हमलावर बन जाता है । अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सैंटर पर भी केवल कुछ जिहाद‍ियों ने ही अमेरिका के ही यात्री हवाईजहाज को मिसाइल की तरह प्रयोग कर  कई हजार लोगों की जान ली थी । पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ देने के बाद भी जेहाद के छोटे छोटे कैम्प पाकिस्तान में चलते रहेगें (जैसे आज भी अमेंरिका के हमले के बावजूद सीरिया और अफगानिस्तान में चल रहे हैं ) और वहां से जिहादी भारत में आते रहेगें । जब तक भारत की आं‍तरिक सुरक्षा को दुरुस्त नहीं किया जाता व जहां जिहाद की शि‍क्षा दी जाती है ऐसे मदरसों पर कार्यवाही नहीं की जाती तब‍तक भारत को सफलता मिलने की कोई संभावना नजर नहीं आती ।  भारत को यह भी देखना चाहिए कि भारत के भी विभ‍िन्न हिस्सों से लड़के जिहादी बनने के लिए सीरिया क्यों जा रहे है ? भारत सरकार की जेहाद को समाप्त करने की नाकामी कश्मीर में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है जहां भाजपा पीडीपी गठबंधन के कई साल से चलने के बाद भी शांति नहीं आ सकी है ।
    सत्यता यह है कि दुनिया भर का मुसलमान जेहाद को लेकर तीन हिस्सो में बंट गया है एक में आई. एस. आई. एस. जैसे संगठन हैं जो पूरी दुनिया को इस्लाम के झंडे तले लाने के लिए सशस्त्र जेहाद को ठीक बताते हैं दूसरे में वे हैं जो पूरी दुनिया में शरीयत का शासन स्थापित करने के लिए गर्भ निरोधक कानून का विरोध करते हैं  जैसे जाकिर नायक, दारुल उलूम आदि ।  तीसरे वे हैं  जो जेहाद की अवधारणा को पूरी तरह नकार चुके हैं जैसे भारत के पूर्व राष्ट्रपति ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम । गैर मुस्ल‍िम देश के लिए केवल कलाम जैसे  मुसलमान ही हितकारी हैं । आई. एस. आई. एस. की विचारधार को समझने के लिए सरकार को निम्न पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए
   सरकार को यह बताना चाहिए कि जवाबी उत्तर के बाद वह पाकिस्तान के जिहादी प्रशि‍क्षण केन्द्रों  व भारत को शरीयत का शासन लाने के लिए जनसंख्या बढ़ाने की इस्लामी रणनीति को किस प्रकार समाप्त करेगी ?

Monday, September 12, 2016

आतंकवादी मुसलमान व सामान्य मुसलमान की दृष्टि में गैैरमुसलमान

   यहां आतंकी मुसलमान से हमारा तात्पर्य उस मुसलमान से है जो दुनिया को शरीयत के शासन के अन्तर्गत लाने के लिए शस्त्रो से जिहाद चला रहे हैं जैसे आई एस आई एस एवंं सामान्य मुसलमान से तात्पर्य उस मुसलमान से है जो सशस्त्र जिहाद का विरोध करते हों जैसे भारत के वे मुसलमान जिन्होने इनके विरुद्ध फतवा दिया है ।

      यहां यह बात ध्यान देने योग्य हैै कि सामान्य मुसलमान भी आतंकवादी मुसलमान की तरह शरीयत के शासन को सर्वश्रेष्ठ मानता है और सरकार व भारत के उच्चतम न्यायालय से भी यह कहता है कि शरीयत में आप दखल नहीं दे सकते ।
   यहां शरीयत से क्या अर्थ है यह समझना भी अत्यधि‍क आवश्यक है शरीयत को कुरान के प्राविधानों के साथ ही पैगंबर माैैहम्मद की शि‍क्षाओं और प्रथाओं के रूप में समझा जा सकता है ।  

  मुसलमान आज कल जिस शरीयत के शासन की बार बार दुहाई देकर मु‍स्लि‍म महिलाओं को उनके अध‍िकारों से वंचित करना चाहते हैं आइए जानते हैं उसी शरीयत के अनुसार एक शरीयत वाले मुल्क में गैर मुसलमानों के क्या अधिकार हैं -
1- गैर मुसलमानों को उनके मं‍दिर व चर्च बनाने की अनुमति नहीं है।
२- गैर मुसलमानों को उनकी धार्मिक पुस्तकों को लाउड स्पीकर पर पढ़ने की मनाही है ।
३- उन्हें अपनी धार्मिक पुस्तकों को सार्वजनिक रूप से बेचने की मनाही है । वे उन्हें अपने मंदिर व चर्च में बेच सकते हैं ।
4- गैरमुसलमान किसी भी धार्मिक चिन्ह हो अपने घर के बाहर या उपर नहीं दिखा सकते जैसे क्रास अथवा भगवा ध्वज ।
५- गैर मुसलमान अपने धार्मिक उत्सवों  का प्रसारण टीवी अथवा रेडियों पर नहीं कर सकते ।
६- गैर मुसलमान अपने त्योहारों को सड़क पर नहीं मना सकते ।
७- गैर मुसलमानों को सेना में केवल आपातअवस्था में शामिल किया जा सकता है ।
८-यदिकोइ व्यक्त‍ि इस्लाम छोड़ता है उसे मृत्युदंड दिया जाना चाहिए ।
9- गैर मुसलमान को हथि‍यारों का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता ।
१०- गैर मुसलमान युवक मुस्ल‍िम युवती से वि‍वाह नहीं कर सकता परंतु एक मुसलमान युवक गैरमुस्लि‍म युवती से विवाह कर सकता है ।
११- गैर मुसलमान किसी मुसलमान के विरुद्ध गवाही नही दे सकता । 
१२- देश का शासक केवल मुसलमान ही बन सकता है आैर उसकी सहायता के लिए बनी परामर्श सम‍िति का अध्यक्ष केवल मुसलमान ही हो सकता है ।
१३-गैर मुसलमानाें  को जजिया कर देना अनिवार्य है ।
 यह सम्पूर्ण जानकारी निम्न पुस्तक में से ली गयी है  । 

   उपरोक्त से स्पष्ट है कि शरीयत के शासन वाले मुस्ल‍िम देश में गैर मुलसमानों सामान्य नागरिक की भांति अधि‍कार प्राप्त नहीं है । मुसलमान शरीयत के शासन को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं । उसे पूरी दुनिया में लाने के लिए संकल्पबद्ध हैं । मुसलमान गैर मुसलमान देशों में अपने लिए समान कानून की व विशेष कानून की मांग करते हैं जबकि जब खुद बहुसंख्या में होकर सत्ता में आ जाते हैं शरीयत के अनुसार गैर मुसलमानों को नीचा दर्जा देते हैं । अत: इस्लामी राज एक पंंथ निरपेक्ष राज्य नहीं है जहां गैर मुसलमानाें को मुसलमानों के समान अधि‍कार हों ।  इस्लाामी देश को श्रेष्ठ मानने के कारण ही भारत का बंटवारा हुआ व बने देश का नाम पाक-स्थान रखा गया । इसी कारण कश्मीर में जेहाद चलाया जा रहा है । इसी कारण सामान्य मुसलमान परिवार नियोजन का विरोध करता है । दोनों की ही नजरों में गैरमुसलमान के अध‍िकार एक जैसे हैं अंतर केवल इस बात में है शरीयत का शासन लाने के लिए हथ‍ियारों से जिहाद किया जाए अथवा नहीं । 

Saturday, September 10, 2016

विश्व में हिन्दू देश एक अथवा दो नहीं वरन १३ - इति सिद्धम

 

     जब लोग कहते हैं कि विश्व में केवल एक ही हिन्दू देश है तो यह पूरी तरह गलत है यह बात केवल वे ही कह सकते हैं जो हिन्दू की परिभाषा को नहीं जानते । इसके लिए सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि हिन्दू की परिभाषा क्या है ।
    हिन्दुत्व की जड़ें किसी एक पैगम्बर पर टिकी न होकर सत्य, अहिंसा सहिष्णुता, ब्रह्मचर्य , करूणा पर टिकी हैं । हिन्दू विधि के अनुसार हिन्दू की परिभाषा नकारात्मक है परिभाषा है जो ईसाई मुसलमान व यहूदी नहीं है वे सब हिन्दू है। इसमें आर्यसमाजी, सनातनी, जैन सिख बौद्ध इत्यादि सभी लोग आ जाते हैं । एवं भारतीय मूल के सभी सम्प्रदाय पुर्नजन्म में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि व्यक्ति के कर्मों के आधार पर ही उसे अगला जन्म मिलता है । तुलसीदास जीने लिखा है परहित सरिस धरम नहीं भाई । पर पीड़ा सम नहीं अधमाई । अर्थात दूसरों को दुख देना सबसे बड़ा अधर्म है एवं दूसरों को सुख देना सबसे बड़ा धर्म है । यही हिन्दू की भी परिभाषा है । कोई व्यक्ति किसी भी भगवान को मानते हुए, एवं न मानते हुए हिन्दू बना रह सकता है । हिन्दू की परिभाषा को धर्म से अलग नहीं किया जा सकता । यही कारण है कि भारत में हिन्दू की परिभाषा में सिख बौद्ध जैन आर्यसमाजी सनातनी इत्यादि आते हैं । हिन्दू की संताने यदि इनमें से कोई भी अन्य पंथ अपना भी लेती हैं तो उसमें कोई बुराई नहीं समझी जाती एवं इनमें रोटी बेटी का व्यवहार सामान्य माना जाता है । एवं एक दूसरे के धार्मिक स्थलों को लेकर कोई झगड़ा अथवा द्वेष की भावना नहीं है । सभी पंथ एक दूसरे के पूजा स्थलों पर आदर के साथ जाते हैं । जैसे स्वर्ण मंदिर में सामान्य हिन्दू भी बड़ी संख्या में जाते हैं तो जैन मंदिरों में भी हिन्दुओं को बड़ी आसानी से देखा जा सकता है । जब गुरू तेग बहादुर ने कश्मीरी पंडितो के बलात धर्म परिवर्तन के विरूद्ध अपना बलिदान दिया तो गुरू गोविन्द सिंह ने इसे तिलक व जनेउ के लिए उन्होंने बलिदान दिया इस प्रकार कहा । इसी प्रकार हिन्दुओं ने भगवान बुद्ध को अपना 9वां अवतार मानकर अपना भगवान मान लिया है । एवं भगवान बुद्ध की ध्यान विधि विपश्यना को करने वाले अधिकतम लोग आज हिन्दू ही हैं एवं बुद्ध की शरण लेने के बाद भी अपने अपने घरों में आकर अपने हिन्दू रीतिरिवाजों को मानते हैं । इस प्रकार भारत में फैले हुए पंथों को किसी भी प्रकार से विभक्त नहीं किया जा सकता एवं सभी मिलकर अहिंसा करूणा मैत्री सद्भावना ब्रह्मचर्य को ही पुष्ट करते हैं ।
    इसी कारण कोई व्यक्ति चाहे वह राम को माने या कृष्ण को बुद्ध को या महावीर को अथवा गोविन्द सिंह को परंतु यदि अहिंसा, करूणा मैत्री सद्भावना ब्रह्मचर्य, पुर्नजन्म, अस्तेय, सत्य को मानता है तो हिन्दू ही है । इसी कारण जब पूरे विश्व में 13 देश हिन्दू देशों की श्रेणी में आएगें । इनमें वे सब देश है जहाँ बौद्ध पंथ है । भगवान बुद्ध द्वारा अन्य किसी पंथ को नहीं चलाया गया उनके द्वारा कहे गए समस्त साहित्य में कहीं भी बौद्ध शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है । उन्होंने सदैव इस धर्म कहा । भगवान बुद्ध ने किसी भी नए सम्प्रदाय को नहीं चलाया उन्होनें केवल मनुष्य के अंदर श्रेष्ठ गुणों को लाने उन्हें पुष्ट करने के लिए ध्यान की पुरातन विधि विपश्यना दी जो भारत की ध्यान विधियों में से एक है जो उनसे पहले सम्यक सम्बुद्ध भगवान दीपंकर ने भी हजारों वर्ष पूर्व विश्व को दी थी । एवं भगवान दीपंकर से भी पूर्व न जाने कितने सम्यंक सम्बुद्धों द्वारा यही ध्यान की विधि विपश्यना सारे संसार को समय समय पर दी गयी ( एसा स्वयं भगवान बुद्ध द्वारा कहा गया है । भगवान बुद्ध ने कोई नया पंथ नहीं चलाया वरन् उन्होंने मानवीय गुणों को अपने अंदर बढ़ाने के लिए अनार्य से आर्य बनने के लिए ध्यान की विधि विपश्यना दी जिससे करते हुए कोई भी अपने पुराने पंथ को मानते हुए रह सकता है । परंतु विधि के लुप्त होने के बाद विपश्यना करने वाले लोगों के वंशजो ने अपना नया पंथ बना लिया । परतुं यह बात विशेष है कि इस ध्यान की विधि के कारण ही भारतीय संस्कृति का फैलाव विश्व के 21 से भी अधिक देशों में हो गया एवं ११ देशों में बौद्धों की जनसंख्या अधिकता में हैं ।
हिन्दुत्व व बौद्ध मत में समानताएं -
१- दोनों ही कर्म में पूरी तरह विश्वास रखते हैं । दोनों ही मानते हैं कि अपने ही कर्मों के आधार पर मनुष्य को अगला जन्म मिलता है ।
2- दोनों पुर्नजन्म में विश्वास रखते हैं ।
3- दोनों में ही सभी जीवधारियों के प्रति करूणा व अहिंसा के लिए कहा गया है ।
4- दोनों में विभिन्न प्रकार के स्वर्ग व नरक को बताया गया है ।
5- दोनों ही भारतीय हैं भगवान बुद्ध ने भी एक हिन्दू सूर्यवंशी राजा के यहां पर जन्म लिया था इनके वंशज शाक्य कहलाते थे । स्वयं भगवान बुद्ध ने तिपिटक में कहा है कि उनका ही पूर्व जन्म राम के रूप में हुआ था । 6- दोनों में ही सन्यास को महत्व दिया गया है । सन्यास लेकर साधना करन को वरीयता प्रदान की गयी है ।
7- बुद्ध धर्म में तृष्णा को सभी दुखों का मूल माना है । चार आर्य सत्य माने गए हैं ।
- संसार में दुख है
- दुख का कारण है
- कारण है तृष्णा
- तृष्णा से मुक्ति का उपाय है आर्य अष्टांगिक मार्ग । अर्थात वह मार्ग जो अनार्य को आर्य बना दे ।
इससे हिन्दुओं को भी कोई वैचारिक मतभेद नहीं है ।
8- दोनों में ही मोक्ष ( निर्वाण )को अंतिम लक्ष्य माना गया है एवं मोक्ष प्राप्त करने के लिए पुरूषार्थ करने को श्रेष्ठ माना गया है ।
दोनों ही पंथों का सूक्ष्मता के साथ तुलना करने के पश्चात यह निष्कर्ष बड़ी ही आसानी से निकलता है कि दोनों के मूल में अहिंसा, करूणा, ब्रह्मचर्य एवं सत्य है । दोनों को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता । और हिन्दुओं का केवल एक देश नहीं बल्कि 13 देश हैं ।
    इस प्रकार हम देखते हैं विश्व की कुल जनसंख्या में भारतीय मूल के धर्मों की संख्या 20 प्रतिशत है जो मुस्लिम से केवल एक प्रतिशत कम हैं । एवं हिन्दुओं की कुल जनसंख्या बौद्धों को जोड़कर 130 करोड़ है। है जो मुसलमानों से कुछ ही कम है । व हिन्दुओं के 13 देश थाईलैण्ड, कम्बोडिया म्यांमार, भूटान, श्रीलंका, तिब्बत, लाओस वियतनाम, जापान, मकाउ, ताईवान नेपाल व भारत हैं । इसी कारण जब लोग कहते हैं कि विश्व में केवल एक ही हिन्दू देश है तो यह पूरी तरह गलत है यह बात केवल वे ही कह सकते हैं जो हिन्दू की परिभाषा को नहीं जानते हैं । 
बौद्ध देशों की सूची

Friday, September 9, 2016

भाजपा का भ्रष्टाचार पर आंखे बंद कर देश की जनता को मूर्ख बनाने की कोशि‍श करना

    कपिल शर्मा के इस ट्वीट पर भाजपा द्वारा यह कहा जाना कि कपिल शर्मा के अच्छे दिन आ गए है सत्य से मुंह छुपाना है । भाजपा यह बताए कि आज क्या किसी सरकारी महकमें में बिना रिश्वत के किसी काम की कल्पना की जा सकती है । भारत के लोगों को कपिल शर्मा की तारीफ करनी चाहिए कि उसने रिश्वत की शि‍कायत प्रधानमंत्री से करने की हिम्मत की । मोदी संघ के कार्यकर्ता होने के कारण देश के सरकारी दफ्तरों में शायद कभी नहीं गए जहां आज कोई काम बिना रिश्वत के की जाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
   प्रधानमंत्री को चाहिए था कि वे भ्रष्टाचार निरोधी  टीम कपिल के पास भेजते और रिश्वत लेने  वालों को पकड़वाते। मेरा दावा है कि अगले ही दिन प्रधानमंत्री के ट्वटिर अकांउट पर हजारो लोगों केट्वीट आते जिसमे लोग  भ्रष्टाचार की शि‍कायत करते । आज की समस्या है कि यदि कोई किसी भ्रष्टाचारी को पकड़वाता है तो शेष बचे हुए भ्रष्टाचारी उसी व्यक्ति‍ का शोषण करने लगते है जिसने भ्रष्टाचार के विरूद्ध कदम उठाने का प्रयास किया ।
 एबीपी न्यूज ने दिखाया है कि बीएमसी में कितना अवैध निर्माण हुआ है और केवल उन्हीं लोगों के खि‍लाफ कार्यवाही की गयी है जिनके खि‍लाफ कार्यवाही करने का मन बीएमसी का हुआ है
   http://abpnews.abplive.in/bollywood/big-revelation-on-bmc-know-here-455149/

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Tuesday, September 6, 2016

भारत का आतंकवाद पर दोगला रवैया और दूसरों काे भाषण देना

   प्रधानमंत्री मोदी जी बार बार आतंकवाद पर अमेरिका चीन रूस इत्यादि को भाषण देते हैं और कहते है कि इस पर दोहरा रवैया नहीं चलना चाहिए । पर शायद उन्हें ये नहीं पता है कि इन देशाें में इस्लामी आतंकवाद कोई समस्या नहीं है ।इन देशा में कई वर्षों से कोई पर कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ नही वहां का काेई प्रान्त आतंकवाद से इस प्रकार ग्रस्त है जैसा कि भारत में कश्मीर । न ही वहां आतंकवादियो व अलगाववादियों के साथ इस प्रकार का व्यवहार होता है जैसा कि कश्मीर में महान राष्ट्रवादी भाजपा पीडीपी गठबंधन द्वारा सरकार द्वारा किया जा रहा  है ।  अमेरिका पाकिस्तान का दोस्त है पर अपने यहां कोई आतंकवादी गतिविध‍ि चलाने के दोषी लादेन को भी पाकिस्तान में जाकर मारने में भी कोई संकोच नहीं करता । वह  पाकिस्तान को कोई सबूत पेश नहीं करता । चीन में अलगाववादियों को राेजा रखने पर पर भी पाबंदी है । अमेंरिका में किसी पर भी कट्टरपंथी होने का शक भी होता है तो उससे उसकी हैसियत की परवाह न करते हुए भी शाहरुख खान की तरह व्यवहार किया जाता है । फ्रांस में एक हमले के बाद कट्टरपंथ फैलाने वाली १५० मस्जि‍दो पर ताला लगा दिया गया था ।फ्रांस इत्यादि देशाें में बु‍र्के व बुर्किनी पहनने पर हर्जाने का प्र‍ाविधान है । कहने का अर्थ है कि इन देशों ने अपने यहां कट्टरपंथी फैलाने वाली हर बात पर प्रतिबंध लगाया है ।
        मोदी सरकार द्वारा कट्टरपंथि‍यों से अपनी पूर्ववर्ती सरकार की तरह घोर तुष्टीकरण की नीत‍ि ही अपनायी जा रही है । कश्मीर में अलगाववादियों की सुरक्षा व विदेशी दौराे पर भारत सरकार द्वारा १५० करोड़ प्रतिवर्ष खर्च किया जा रहा है यह सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी द्वारा बताया गया है । जो भाजपा व संघ विपक्ष में हाेने पर हज पर दी जाने वाली सब्सिडी को गलत बताते थे व अब अपनी सत्ता आने पर चुप हो गए है । आतंकी विचारधारा फैलाने वाले जाकिर नायक पर व उसके समर्थकों पर कोई कार्यवाही अाज तक नहीं की गयी । गुजरात में मोदी घोर तुष्टीकरण करते हुए अजान के समय भाषण तक रोक देते हैं । जबकि विभि‍न्न न्यायालयो द्वारा यह ध्वनि प्रदूषण बताया गया है । 
      उक्त सब से स्पष्ट है कि दोहरा रवैया इन देशाें द्वारा नहीं बल्कि भारत के द्वारा अपनाया जा रहा है । इन देशों में उनके अपने देश के हित सबसे उपर है जबकि भारत के प्रधानमंत्री आतंकवादी देशों के प्रति भी मैत्री  रखने के कारण अपने ही देश के लोगों की सुरक्षा करने में असफल रहे हैं ।

Thursday, August 11, 2016

भारत को पुन: अखण्ड किस प्रकार किया जा सकता है ?

  संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रत्येक वर्ष 14 अगस्त को अखण्ड भारत संकल्प दिवस मनाया जाता है । परन्तु उनके द्वारा यह नहीं बताया जाता कि यह किस प्रकार किया जाएगा एक कार्यकर्ता को क्या करना चाहिए कि भारत पुन: अखण्ड किया जा सकता है । इसका एक तरीका यह भी हो सकता है कि संघ का एक कार्यकर्ता प्रधानमंत्री बन गया है तो वह भारत की सैन्यशक्त‍ि के बल पर अन्य सभी देशों को अपने में मिला कर भारत को पुन: अखण्ड बनाए परन्तु वर्तमान में जब अन्य देशों के पास पर्याप्त मात्रा में परमाणु शक्त‍ि है तो सैन्य शक्त‍ि के आधार पर यह सपना पूरा हो पाना संभव नहीं दीखता । इस संबंध में हमें यह भी विचार करना चाहिए कि पुराने समय में जब भारतीय संस्कति‍ पूरे विश्व में फैली थी तब भी क्या वह ताकत के आधार पर पूरे विश्व में फैली थी । पूर्व काल में भी भारत ने अपनी सैन्य शक्त‍ि के आधार पर अन्य देशों पर कब्जा नहीं किया । पुराने समय में भी भारत से धर्मदूत अन्य देशों में जाते थे जो कुछ लोग ही अपने प्रभाव से दूसरे समस्त् देश के लोगों को अपना बना कर आ जाते थे । सम्राट अशोक ने अपने पुत्र व पुत्री को अन्य देशों में भेजा और कुछ ही लोगों दूसरे पूरे देश को अपने आध्यात्म की शक्त‍ि के बल पर अपना बना लिया । सैन्य शक्ति‍ के आधार पर यदि‍ हम किसी अन्य देश पर अपना अधि‍कार कर भी लेते हैं तो भी दूसरे देश के लोग यदि हमारे अधि‍कार को मन से स्वीकार नहीं करते हैं तो भी वहां भारत जैसी परिस्थ‍िति पैदा होगी अर्थात जैसे भारत की उस समय थी जब भारत पर अंग्रेजों का कब्जा था ।

               अ‍त: उपरोक्त तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि केवल शक्त‍ि के बल पर भारत को पुन: अखण्ड नहीं बनाया जा सकता है । आध्यात्म की शक्त‍ि के बल पर ही भारत को पुन: अखण्ड बनाया जा सकता है । भारत के धर्म योद्धाओं ने समय समय आध्यात्म के बल पर ही पूरे विश्व पर भारत का डंका गाढा है ।
                पुराने भारत की आध्यात्म की विद्या आज फिर एक बार भारत में लौट कर आयी है । और भारत के साथ साथ दुनिया के अन्य देशों के लोगों को भी अपनी ओर खींच रही है । भारत की यह विद्या भगवान के नाम पर अन्य लोगों से लड़ना नहीं सिखाती वरन् सारी मानवता की समस्याओं का हल बताती है जिससे कोई भी व्यक्ति सहज ही इसे सीखकर इससे लाभ पाता है । भारत की संस्कृति किस प्रकार पूरे विश्व में फैलती है और लोगों को प्रभावित करती है इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है जो एक सच्ची घटना है । एक मुस्लिम युवती जो जोडों के दर्द से पीड़ित है और प्रतिमाह लगभग 1 हजार रुपए महीना की दवाई खा रही है को स्वामी रामदेव के बताए योग से लाभ होता है । उसका पति व मौलवी उस औरत को यह कहकर करने से रोकते हैं कि इससे कुफ्र के रास्तें पर पड़ने का भय है । पर वह औरत कहती है कि मैं इसे किसी अन्य भगवान की पूजा नहीं कर रही हूं पर इससे मुझे कई तरह के षारीरिक पीड़ाओं में लाभ होता है इसीलिए करती हूं । कुछ दिनों में उस औरत का योग के प्रति सम्मान बढ़ता जाता है भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान बढ़ जाता है । और थोड़े दिनों बाद यदि कोई उस औरत से यह कहे कि इस्लाम के अतिरिक्त सारी दुनिया काफिर है और उसके विरुद्ध जिहाद करना है तो वह औरत कहेगी कि हिन्दू लोग तो अच्छे हैं हमें बिना किसी लालच के योग प्राणायाम जैसी विद्या सिखाते हैं । मौलवियों की बात गलत है । इसी तरह इस्लाम की दुनिया में एक ऐसी व्यक्ति हमें मिल जाता है जो हमारा शत्रु नहीं है बल्कि मित्र है ।
                इसी प्रकार भारत का एक संत कहता है कि हमें भगवान से कुछ लेना देना नहीं है किसी भी भगवान को मानों । फिर कहता है यह तो मानते हो कि संसार में दुख है । तो जो सच्चाई है उसे हर व्यक्ति को मानने के लिए विवश होता है । अब वह वह दूसरी सच्चाई कहता है कि दुख का कारण है वह है तृष्णा और उसे दूर करने का उपाय है आर्य अष्टांगिक मार्ग । और कहता है मेरे बताए मार्ग पर जरा थोड़ा चलकर तो देखो कि क्या इस मार्ग पर चलने से तुम्हारे दुख में थोड़ी कमी आयी है अथवा नहीं । तो जो लोग इस मार्ग पर थोड़ा भी चलकर देखते हैं तो खुद ही अपनी अनुभूतियों से समझने लगते हैं कि उनके दुख कम हो रहे हैं । और मार्ग पर चलते चलते यह भी स्पष्ट होने लगता है कैसे इस मार्ग पर चलने से सारे दुख सारी समस्यांए दूर हो जाएंगी और परम सत्य का साक्षात्कार हो जाएगा । और यही महापुरुष् कहता है कि मैं जो कहता हूँ उसे केवल इसीलिए मत मानों कि मैने कहा है पर जो रास्ता मैं बताता हूँ उस पर चलो उस पर चलकर तुम्हें जितनी खुद को लगने लगे कि हाँ यह तो सच्चाई है उसे मानों । जानो फिर मानो । किसी भी सत्यशोधक व्यक्ति को यह बात स्वीकार करनी पड़ती है । जब ध्यान को करने से उसे लाभ होता है तो वह पहल उस सिखाने वाले व्यक्ति में प्रति श्रद्धावान होता है । फिर उस देश के प्रति श्रद्धावान होता है जहां का वह सिखाने वाला रहने वाला हो । उसी ध्यान की विद्या के बल पर भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में फैली । और लोग भारत के ज्ञान से प्रभावित होकर खुद ही स्वयं को भारतीय संस्कृति जोड़कर देखने लगे । ताकत के बल पर हम किसी अन्य देश पर सदैव के लिए कब्जा नहीं कर सकते ।
               यही ध्यान की विद्या आज पूरे विश्व में मुस्लिम और ईसाई दोनों देशों में फैल रही है और उन देशों के मुस्लिम और ईसाइयों के मन में भारत भारत की संस्कृति और भारत के लोगों के प्रति श्रद्धा पैदा कर रही है । यह विद्या कैसे लोगों को अपना बनाती है इसका एक उदाहरण - बेनजीर भुट्टो जो पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री थी, को कई महीनों से बिना नींद की गोली लिए नींद नहीं आयी थी । उनसे किसी ने कहा कि यदि आप इस ध्यान को सीख लोगी तो आप को इस बीमारी में लाभ होगा । उन्होनें इसे सीखा और पहले ही दिन बिना गोली लिए सोई । ध्यान के प्रति श्रद्धावान हुई ।
                इसी प्रकार अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए लाखों विदेशीयों ने यह विद्या भारत में रहकर सीखी । फिर लौटकर अपने देष को गए तो देखा कि मेरे देष में कितने ही लोग उन्हीं समस्याओं से ग्रस्त हैं जिनसे मैं कभी स्वयं ग्रस्त था । और ध्यान की वह विद्या विपश्यना सीख कर मेरी बहुत सी समस्यांए दूर हो गयी हैं । तो अपने प्रयासों से अपने अपने देषों में इसके केन्द्र खोल लिए ताकि उनके देशवासी भी इस विद्या से लाभान्वित हो सकें । इसी कारण पूरे विष्व के कई मुस्लिम व ईसाई देशों में आज इस विद्या के केन्द्र खुल चुके है । लोग अपने दुखों से इस विद्या को सीखने के पश्चात दूर हो रहे है। और भारतीय संस्कृति के प्रति स्वतः ही बिना किसी जोर जबरदस्ती के निष्ठावान हो रहे है । केवल यही एक तरीका है जिससे अन्य देश जो हमारे देश से अलग हो गए पुनः अपने में मिलाया जा सके । पहले वहां रहने वाले नागरिकों के मन से भारत के प्रति शत्रुता के भाव को खत्म करना होगा । फिर उन्हें अपनी पुरातन संस्कृति के प्रति निष्ठावान बनाना होगा । उसके बाद उन्हें स्वयं ही यह आभास होगा कि मजहब के आधार पर जो बंटवारा हुआ वो गलत था, उसे दूर करना चाहिए । इसीलिए अखण्ड भारत का सपना देखने वालों को इस विद्या को एक बार आजमा कर देखना चाहिए और जांचना चाहिए ।
               नीचे उन केन्द्रों की सूची है जो पूरे विश्व में खुल चुके हैं।
www.dhamma.org
18/08/2014

Friday, August 5, 2016

जाकिर की गिरफ्तारी में जल्दबाजी नहीं !



पत्रांक-956-960                                                                     दिनांक-27/o07/2016

सेवा में,
श्री राजनाथ सिंह जी,
माननीय गृह मंत्री,
भारत सरकार,
नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली-110001
विषय :- जाकिर की गिरफ्तारी में जल्दबाजी नहीं !
संदर्भ :- दैनिक जागरण, गुरुग्राम, दिनांक-11 जुलाई, 2016
महोदय,
     आपकी सेवा में दैनिक जागरण में छपे समाचार की छाया प्रति भेजी जा रही है ! उक्त समाचार से यह जानकारी मिली है कि जेहादी, इस्लामी आतंकवाद का पोषक जाकिर नाईक हिन्दुस्थान सरकार की शिथिलता के कारण विदेश में बड़े मजे से रह रहा है, क्योंकि यहाँ की जाँच एजेंसियाँ उसके प्रति नरम हैं और उसे गिरफ्तार करने के मूड में नहीं हैं ! वैसे भी जाकिर नाईक को मुस्लिम लीग का सहारा मिलने के साथ-साथ दारुल उलूम देवबंद का भी प्रमाण-पत्र मिल गया है ! उसके पक्ष में आतंकवाद का पोषक न होने का फतवा दिया गया है !
यह सर्वविदित है कि मुस्लिम संगठन और कुछ सेक्यूलरिस्ट किसी भी जेहादी आतंकवादी को आतंकवादी न होने का प्रमाण-पत्र देते रहे हैं ! इतना ही नहीं भिन्न-भिन्न प्रकार के वक्तव्यों से सरकारी क्षेत्रों में और जनता में इतना भ्रम फैला देते हैं कि सरकार किसी भी जेहादी आतंकवादी को पकड़ने में और दंडित करने में डरने लगती है ! यह प्रक्रिया पिछले कई दशकों से इस्लामी संगठन बड़ी सफलतापूर्वक चला रहे हैं !
उत्तरप्रदेश के एक भाजपा नेता ने मायावती जी को कुछ अपशब्द कहे तो भाजपा ने तत्काल संभवतः अगले दिन उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया, परन्तु देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त भारतीय और जेहादी आतंकवादी आराम से घूमते रहते हैं, जनता को त्रस्त करते हैं और जेलों में यदि बंद हो गए तो चिकन बिरयानी खाते रहते हैं, ऐसा पढने-सुनने को मिला है !                
निवेदन है कि जाकिर नाईक जैसे घोर जेहादी मानसिकता फैलाने वाले व्यक्ति को अविलंब पकडकर उसे दंडित करने में देर न की जाए और अधिकतम उच्च न्यायालय तक अपील की छूट ही उसे मिलनी चाहिए ! उससे आगे अपील की छूट रद्द कर देनी आवश्यक है !     
   विश्वास है कि आप तत्काल संबंधित अधिकारियों को जाकिर नाईक के विरुद्ध अति तत्परता से जाँच पूरी करने और आगे की कार्रवाई चलाने के आदेश देंगे ! इस संबंध में की गई कार्रवाई की जानकारी भिजवाने का कष्ट करें ! सादर,

                                                                    भवदीय,

                                                         (डॉ. महेश चन्द्र गुप्त)
                                                           मुख्य परामर्शदाता
      प्रतिलिपि :-
1.       माननीय श्री मोहन राव जी भागवत, पूज्य सर संघचालक, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ,
हेडगेवार भवन, महाल, नागपुर - 440032
2.       डॉक्टर प्रवीण भाई तोगड़िया जी, कार्याध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद्, संकटमोचन आश्रम,
सेक्टर-6, रामकृष्णपुरम्, नई दिल्ली-110022
3.       श्री प्रफुल्ल गोरडिया जी, महासचिव, भारतीय जनसंघ, 145, सुंदर नगर, नई दिल्ली
4.       श्री दिनेश चन्द्र त्यागी जी, महामंत्री, सांस्कृतिक गौरव संस्थान, संकटमोचन आश्रम,
सेक्टर-6, रामकृष्णपुरम्, नई दिल्ली-110022

कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा प्राथमिकता !



पत्रांक-966-969                                                                     दिनांक-27/o07/2016

सेवा में,
श्री राजनाथ सिंह जी,
माननीय गृह मंत्री,
भारत सरकार,
नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली-110001
विषय :- कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा प्राथमिकता !
संदर्भ :- दैनिक जागरण, गुरुग्राम, दिनांक-11 जुलाई, 2016
महोदय,
     आपकी सेवा में दैनिक जागरण में छपे समाचार की छाया प्रति भेजी जा रही है ! सामान्य जनता यह समझ रही है कि जब से केंद्र में भाजपा सरकार बनी है तब से कश्मीर में अराजकता बढ़ी है अर्थात् अराजक तत्त्व इसलिए अधिक सक्रिय हो गए हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि भाजपा सरकार कमजोर सरकार होती है और उसमें कठोर कार्रवाई करने का साहस नहीं होता ! इसी आधार पर कश्मीर के पत्थरबाजों और अलगाववादियों ने भारी उपद्रव मचा रखा है ! साथ-साथ पाकिस्तान सरकार भी पूरी मुस्तैदी से जेहादियों को हिन्दुस्थान में घुसा रही है और गोलीबारी में तेजी लाई है !
चूँकि मामला केंद्र सरकार की कमजोरी से है और सरकार का दबदबा नहीं रह गया प्रतीत होता है, इसलिए आपके स्तर पर सुधार आवश्यक है ! साथ-साथ कश्मीर में हिन्दू पंडितों के पुनर्वास, पूर्व सैनिकों के कश्मीर में भूमि, धन और शस्त्र देकर बसाने, आतंकवादियों और पत्थरबाजों के दुस्साहस को पस्त करने सहित अति दृढ 3 वर्षीय, 5 वर्षीय,           10 वर्षीय और 20 वर्षीय नीति और योजना बना देने की कृपा करें ! इस संबंध में की गई कार्रवाई की जानकारी भिजवाने का कष्ट करें ! सादर,
                                                                 भवदीय,

                                                       (डॉ. महेश चन्द्र गुप्त)
                                                         मुख्य परामर्शदाता
      प्रतिलिपि :-
1.         माननीय श्री मोहन राव जी भागवत, पूज्य सर संघचालक, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, हेडगेवार भवन, महाल, नागपुर - 440032
2.         डॉक्टर प्रवीण भाई तोगड़िया जी, कार्याध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद्, संकटमोचन आश्रम, सेक्टर-6, रामकृष्णपुरम्, नई दिल्ली-110022
3.         श्री दिनेश चन्द्र त्यागी जी, महामंत्री, सांस्कृतिक गौरव संस्थान, संकटमोचन आश्रम, सेक्टर-6, रामकृष्णपुरम्, नई दिल्ली-110022