Monday, January 18, 2016

क्या भाजपा की मजबूरी है कोई काम न करना




    श्री अमित शाह जी
    राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
    11- अशोक रोड, नई दिल्ली-1110001
विषय:- अनुच्छेद 370 समेत मुख्य मुद्दों के लिए नहीं है बहुमत, मंदिर के लिए चाहिए 370 सीटें |
सन्दर्भ:-दैनिक जागरण नई दिल्ली, दिनांक 27 मई 2015(छाया प्रति संलग्न)
महोदय् ,

  उपर्युक्त विषय पर दैनिक जागरण में छपे समाचार के अनुसार आपने निम्नलिखित वक्तव्य दिया है:-
“अनुच्छेद 370 हटाने, राममंदिर निर्माण और समान  नागरिक संहिता लागू करने जैसे पार्टी के कोर मुद्दे को सांसदों की कमी का हवाले देते हुए टाल दिया | भाजपा इन कोर मुद्दों से पीछे नहीं हटी है, लेकिन इन्हें पूरा करने के लायक फिलहाल पार्टी के पास बहुमत नहीं है | इसके लिए भाजपा को लोकसभा में अकेले कम-से-कम 370 सीटें चाहिए |”
इस विषय में भाजपा और संघ परिवार की अनेक संस्थाओं के कार्यकर्ता गण यह बोल रहे हैं कि-
(1). क्या 370 सीटें मिलेगी तभी आप कश्मीर से धारा 370 हटाने और राममंदिर का निर्माण कराने और सामान नागरिक संहिता लागू करने का काम करेंगे | क्या ऐसा चुनाव से पहले कहा था यदि नहीं तो क्यों ?
(2). जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के संबंध में संसद में  बहुमत न होने का आप का उल्लेख इसलिए अनुचित है कि उक्त अनुच्छेद में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति लोकअधिसूचना द्वारा घोषणा कर सकेगा कि यह अनुच्छेद प्रवर्तन में नहीं रहेगा किन्तु ऐसी अधिसूचना किए जाने से पहले उस राज्य की संविधान सभा की सिफारिश आवश्यक होगी |
स्पष्ट है कि राष्ट्रपति जी लोक अधिसूचना किसी भी समय जारी कर सकते हैं, क्योंकि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा अब जन्नत नशीन हैं | इस संबंध में अच्छा यह होगा कि आप अपने को अनजान सिद्ध न करें और जनता तथा कार्यकर्ताओं को मूर्ख न समझें | इस विषय में आपकी कोई भी दुर्बलता हो सकती है जिसके कारण आप राष्ट्रपति जी से लोक अधिसूचना जारी कराने में विफल हो रहे हैं / हुए हैं |

                जहाँ तक समान नागरिक संहिता और राममन्दिर निर्माण का विषय है इसमें राममन्दिर निर्माण तो साधारण बहुमत से लोकसभा में बिल पेश करके और उसे पारित कराकर राज्य सभा में प्रस्तुत कर के वहाँ पारित कराकर किया जा सकता है  और वहाँ पास न हो तो अनेक दल बेनकाब हो जाएँगे | यदि आप उसे पास ही कराना चाहेंगे तो दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में करा सकते हैं | समान नागरिक संहिता लागू करने के संबंध में उच्चतम-न्यायालय ने कई  निर्णय दे रखें हैं | आशा है कि आपने उन्हें देखा होगा यदि नहीं तो देख लेने का कष्ट करें | वैसे भी यह आवश्यक नहीं है कि आप जानते ही हों और याद रखते हों | इसलिए समान नागरिक संहिता भी भाजपा और केन्द्रीय सरकार की इच्छा शक्ति पर निर्भर करती है |
   इतना अवश्य ध्यान रखना होगा कि यदि अगले चार वर्षो में इन तीनों मामलों सहित गोवध बंद करने के बारे में कुछ नहीं किया तो चार वर्ष बाद आपकी सरकार का वही हाल हो सकता है जो अटलविहारी बाजपेयी सरकार का, उसकी निष्क्रियता के कारण हुआ क्योंकि उस सरकार ने भी बहु संख्यक हिन्दू समाज को धोखा दिया और लगातार झूठ का आश्रय लिया | इतना अवश्य है कि चार विषयों में से दो पर भी आप कुछ कर सकें तो यह विश्वास हो सकता है कि चार साल के पश्चात् भाजपा पुनः केंद्र में सत्ता प्राप्त करें |

सुभकामनाओं सहित
आपका


डॉ०महेश चन्द्र गुप्त
सांस्क़तिक गौरव संस्थान