Monday, September 12, 2016

आतंकवादी मुसलमान व सामान्य मुसलमान की दृष्टि में गैैरमुसलमान

   यहां आतंकी मुसलमान से हमारा तात्पर्य उस मुसलमान से है जो दुनिया को शरीयत के शासन के अन्तर्गत लाने के लिए शस्त्रो से जिहाद चला रहे हैं जैसे आई एस आई एस एवंं सामान्य मुसलमान से तात्पर्य उस मुसलमान से है जो सशस्त्र जिहाद का विरोध करते हों जैसे भारत के वे मुसलमान जिन्होने इनके विरुद्ध फतवा दिया है ।

      यहां यह बात ध्यान देने योग्य हैै कि सामान्य मुसलमान भी आतंकवादी मुसलमान की तरह शरीयत के शासन को सर्वश्रेष्ठ मानता है और सरकार व भारत के उच्चतम न्यायालय से भी यह कहता है कि शरीयत में आप दखल नहीं दे सकते ।
   यहां शरीयत से क्या अर्थ है यह समझना भी अत्यधि‍क आवश्यक है शरीयत को कुरान के प्राविधानों के साथ ही पैगंबर माैैहम्मद की शि‍क्षाओं और प्रथाओं के रूप में समझा जा सकता है ।  

  मुसलमान आज कल जिस शरीयत के शासन की बार बार दुहाई देकर मु‍स्लि‍म महिलाओं को उनके अध‍िकारों से वंचित करना चाहते हैं आइए जानते हैं उसी शरीयत के अनुसार एक शरीयत वाले मुल्क में गैर मुसलमानों के क्या अधिकार हैं -
1- गैर मुसलमानों को उनके मं‍दिर व चर्च बनाने की अनुमति नहीं है।
२- गैर मुसलमानों को उनकी धार्मिक पुस्तकों को लाउड स्पीकर पर पढ़ने की मनाही है ।
३- उन्हें अपनी धार्मिक पुस्तकों को सार्वजनिक रूप से बेचने की मनाही है । वे उन्हें अपने मंदिर व चर्च में बेच सकते हैं ।
4- गैरमुसलमान किसी भी धार्मिक चिन्ह हो अपने घर के बाहर या उपर नहीं दिखा सकते जैसे क्रास अथवा भगवा ध्वज ।
५- गैर मुसलमान अपने धार्मिक उत्सवों  का प्रसारण टीवी अथवा रेडियों पर नहीं कर सकते ।
६- गैर मुसलमान अपने त्योहारों को सड़क पर नहीं मना सकते ।
७- गैर मुसलमानों को सेना में केवल आपातअवस्था में शामिल किया जा सकता है ।
८-यदिकोइ व्यक्त‍ि इस्लाम छोड़ता है उसे मृत्युदंड दिया जाना चाहिए ।
9- गैर मुसलमान को हथि‍यारों का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता ।
१०- गैर मुसलमान युवक मुस्ल‍िम युवती से वि‍वाह नहीं कर सकता परंतु एक मुसलमान युवक गैरमुस्लि‍म युवती से विवाह कर सकता है ।
११- गैर मुसलमान किसी मुसलमान के विरुद्ध गवाही नही दे सकता । 
१२- देश का शासक केवल मुसलमान ही बन सकता है आैर उसकी सहायता के लिए बनी परामर्श सम‍िति का अध्यक्ष केवल मुसलमान ही हो सकता है ।
१३-गैर मुसलमानाें  को जजिया कर देना अनिवार्य है ।
 यह सम्पूर्ण जानकारी निम्न पुस्तक में से ली गयी है  । 

   उपरोक्त से स्पष्ट है कि शरीयत के शासन वाले मुस्ल‍िम देश में गैर मुलसमानों सामान्य नागरिक की भांति अधि‍कार प्राप्त नहीं है । मुसलमान शरीयत के शासन को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं । उसे पूरी दुनिया में लाने के लिए संकल्पबद्ध हैं । मुसलमान गैर मुसलमान देशों में अपने लिए समान कानून की व विशेष कानून की मांग करते हैं जबकि जब खुद बहुसंख्या में होकर सत्ता में आ जाते हैं शरीयत के अनुसार गैर मुसलमानों को नीचा दर्जा देते हैं । अत: इस्लामी राज एक पंंथ निरपेक्ष राज्य नहीं है जहां गैर मुसलमानाें को मुसलमानों के समान अधि‍कार हों ।  इस्लाामी देश को श्रेष्ठ मानने के कारण ही भारत का बंटवारा हुआ व बने देश का नाम पाक-स्थान रखा गया । इसी कारण कश्मीर में जेहाद चलाया जा रहा है । इसी कारण सामान्य मुसलमान परिवार नियोजन का विरोध करता है । दोनों की ही नजरों में गैरमुसलमान के अध‍िकार एक जैसे हैं अंतर केवल इस बात में है शरीयत का शासन लाने के लिए हथ‍ियारों से जिहाद किया जाए अथवा नहीं ।