Tuesday, September 6, 2016

भारत का आतंकवाद पर दोगला रवैया और दूसरों काे भाषण देना

   प्रधानमंत्री मोदी जी बार बार आतंकवाद पर अमेरिका चीन रूस इत्यादि को भाषण देते हैं और कहते है कि इस पर दोहरा रवैया नहीं चलना चाहिए । पर शायद उन्हें ये नहीं पता है कि इन देशाें में इस्लामी आतंकवाद कोई समस्या नहीं है ।इन देशा में कई वर्षों से कोई पर कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ नही वहां का काेई प्रान्त आतंकवाद से इस प्रकार ग्रस्त है जैसा कि भारत में कश्मीर । न ही वहां आतंकवादियो व अलगाववादियों के साथ इस प्रकार का व्यवहार होता है जैसा कि कश्मीर में महान राष्ट्रवादी भाजपा पीडीपी गठबंधन द्वारा सरकार द्वारा किया जा रहा  है ।  अमेरिका पाकिस्तान का दोस्त है पर अपने यहां कोई आतंकवादी गतिविध‍ि चलाने के दोषी लादेन को भी पाकिस्तान में जाकर मारने में भी कोई संकोच नहीं करता । वह  पाकिस्तान को कोई सबूत पेश नहीं करता । चीन में अलगाववादियों को राेजा रखने पर पर भी पाबंदी है । अमेंरिका में किसी पर भी कट्टरपंथी होने का शक भी होता है तो उससे उसकी हैसियत की परवाह न करते हुए भी शाहरुख खान की तरह व्यवहार किया जाता है । फ्रांस में एक हमले के बाद कट्टरपंथ फैलाने वाली १५० मस्जि‍दो पर ताला लगा दिया गया था ।फ्रांस इत्यादि देशाें में बु‍र्के व बुर्किनी पहनने पर हर्जाने का प्र‍ाविधान है । कहने का अर्थ है कि इन देशों ने अपने यहां कट्टरपंथी फैलाने वाली हर बात पर प्रतिबंध लगाया है ।
        मोदी सरकार द्वारा कट्टरपंथि‍यों से अपनी पूर्ववर्ती सरकार की तरह घोर तुष्टीकरण की नीत‍ि ही अपनायी जा रही है । कश्मीर में अलगाववादियों की सुरक्षा व विदेशी दौराे पर भारत सरकार द्वारा १५० करोड़ प्रतिवर्ष खर्च किया जा रहा है यह सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी द्वारा बताया गया है । जो भाजपा व संघ विपक्ष में हाेने पर हज पर दी जाने वाली सब्सिडी को गलत बताते थे व अब अपनी सत्ता आने पर चुप हो गए है । आतंकी विचारधारा फैलाने वाले जाकिर नायक पर व उसके समर्थकों पर कोई कार्यवाही अाज तक नहीं की गयी । गुजरात में मोदी घोर तुष्टीकरण करते हुए अजान के समय भाषण तक रोक देते हैं । जबकि विभि‍न्न न्यायालयो द्वारा यह ध्वनि प्रदूषण बताया गया है । 
      उक्त सब से स्पष्ट है कि दोहरा रवैया इन देशाें द्वारा नहीं बल्कि भारत के द्वारा अपनाया जा रहा है । इन देशों में उनके अपने देश के हित सबसे उपर है जबकि भारत के प्रधानमंत्री आतंकवादी देशों के प्रति भी मैत्री  रखने के कारण अपने ही देश के लोगों की सुरक्षा करने में असफल रहे हैं ।